20.3.19

ओ गौरैया

आज विश्व गौरैया दिवस है । हमारी प्रिय नन्हीं गौरैया की घटती संख्या चिन्ता का विषय है ..वातावरण में परिवर्तन को इसका जिम्मेदार मानती हूँ । चर्प-चर्प करती ये चिड़िया तो हमारी बचपन की साथी हैं ।अपने बालपन के साथी पर आँच कैसे आने दें ! हमारे बचपन के घर के छत , आँगन , मुड़ेर सब पर इनकी भाग दौड़ लगी रहती थी । अब ये इतनी कम नजर आती हैं कि मन व्यथित हो उठता है....

मेरी गौरैया तुम्हें समर्पित है यह कविता ....जिउती रह तू ओ प्यारी चिड़िया !


जिन्दगी विचरती मेरे मुँडेर सुबह -ओ- शाम विहँसती
जतन मन मेरी गौरैया जब नन्हे के मुख दाने भरती

बदली कहाँ आबोहवा, परेशाँ जिन्दगी हँस ऐसा कहती
बचपन की मेरी गौरैेया दिखती जब खिलती औ फुदकती

मिट्टी सी निश्छल मेरी गौरैया वैसी ही मटमैली
मेरी सखी सी नटखट मेरी बिटिया सी भोली

कलरव तेरा मेरी गौरैया जैसे रिश्तों की नरम हँसी
इत उत उड़ना जैसे जिन्दगी से अपनी बतकही

बसी रह रे गौरैया ! जिउती रह रे गौरैया !ओ नटखट चिड़िया !!
मत कर तन्हा मेरे मुँडेर छत आँगन बगीचा औ दोपहरी रे !!
                              रानी सुमिता
                                20 मार्च 18 ,गौरैया दिवस

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