22.1.19

खुशफहमी



न डाकिये की मनुहार
न मिट्टी का उपहार

न नंगे पाँव की दौड़
न बचपन की मासूम होड़
आँख मूँदे एक दौर मे समा गये हम
बाजार के भेट चढ़ा सरल जीवन
और खुशफहमियाँ पाले हुये हैं
कि आधुनिक युग में आ गये हम ..
                               रानी सुमिता

8 comments:

  1. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति रानी

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  2. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति रानी

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  3. बहुत धन्यवाद आपका 💐

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बचपन

बचपन की उन शैतानियो को प्रणाम उन खेलों को नमन